शाला सिद्धि कार्यक्रम

शाला सिद्धि – हमारी शाला ऐसी हो

गत कई वर्षों से सभी विद्यार्थियों के लिए गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर कई नए प्रयास किए गए हैं। इन सबका उद्देश्य रहा है कि शाला में सुधार हो तथा वे अच्छा कार्य-प्रदर्शन कर सकें। इस परिप्रेक्ष्य में विभिन्न स्तरों पर लगातार ऐसी पद्धतियों को विकसित करने के प्रयास किए जा रहें हैं, जिसमें शालाओं के समग्र मूल्यांकन के माध्यम से, विकास की एक निश्चित योजना बनाकर उनका उन्नयन किया जा सके। राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा संचालित ‘प्रतिभा पर्व’, ‘हमारी शाला कैसी हो’, ‘शाला विकास योजना’, शाला गुणवत्ता कार्यक्रम, ‘शाला दर्पण’ प्रायोजनाएँ इन्हीं प्रयासों के उदाहरण हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय, नई दिल्ली (NUEPA) द्वारा भी इस क्षेत्र में पहल की गयी है और शालाओं के मूल्यांकन और सुधार हेतु एक रूपरेखा तैयार की गई है जिसे ‘शाला सिद्धि’ कहा गया है। इसका शुभारम्भ माह नवम्बर 2015 में किया गया।

उपरोक्त कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से प्राप्त अनुभवों से सीखते हुए तथा शाला सिद्धि फ्रेमवर्क को आधार बनाते हुए राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा राज्य की व्यवस्थाओं और आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध कराने के दृष्टिगत शालाओं के मूल्यांकन और उन्नयन के लिए ‘हमारी शाला ऐसी हो’ कार्यक्रम तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम में शालाओं के मूल्यांकन और उन्नयन की एक सकारात्मक परिकल्पना और पहल की गई। इस कार्यक्रम में सहभागी हो कर शालाएँ अपने आप को सक्षम करने के लिए स्वयं का सतत मूल्यांकन कर चिन्हित क्षेत्रों में शाला उन्नयन की कार्य-योजना के माध्यम से शाला का विकास कर सकेंगी। यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया होगी।

इस कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित :

  • शालाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया विकसित करने के लिए तकनीकी रूप से उत्तम वैचारिक प्रक्रिया का निर्माण करना तथा उनके लिए प्रक्रिया और उपकरण (प्रपत्र) निश्चित करना।
  • शाला मूल्यांकन हेतु राज्य में एक संस्थागत प्रक्रिया निश्चित करना तथा उसका क्रियान्वयन करना।
  • शाला मूल्यांकन हेतु शालाओं तथा सम्बन्धित अधिकारियों को सक्षम बनाना जिससे शालाएँ निरंतर उन्नति कर सक्षम बनी रहें।
  • शाला को इस प्रकार सहयोग देना कि वे अपनी आवश्यकताओं का विश्लेषण कर उनकी पूर्ति हेतु निरंतर प्रयास करने में सक्षम हों।

इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

  • शालाओं के मूल्यांकन हेतु आयामों तथा उनके मानकों को चिन्हित किया गया है जो शाला के मूल्यांकन और उन्नयन का आधार बिन्दु होंगी।
  • स्व-मूल्यांकन और बाह्य मूल्यांकन हेतु व्यापक उपकरण प्रपत्र के रूप में उपलब्ध कराए गए हैं।
  • शाला एवं बाह्य-मूल्यांकनकर्ताओं के लिए तार्किक, आसान तथा स्पष्ट मूल्यांकन उपकरणों को उपलब्ध कराया गया है।
  • युक्तिसंगत और पारदर्शी मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित की गई है।